Hindi Society & Culture Podcast
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India celebrates Kargil Vijay Diwas on July 26 every year to mark the anniversary of the Indian Army's victory against Pakistan on this day in 1999, after more than 60 days of armed conflict on the highlands of Kargil in Ladakh.
Raghav Juyal, One man, many talents! From a slo-mo dancer in "DID" to a film actor. We take you through his journey of rags to riches on his 30th birthday.
राघव जुयाल, एक आदमी, कई प्रतिभाएं! "DID" में स्लो-मो डांसर से लेकर फिल्म अभिनेता तक। हम आपको उनके 30वें जन्मदिन पर उनके लत्ता से लेकर अमीरी तक की यात्रा के बारे में बताते हैं।
From running for his life to running for medals, Milkha Singh's life has been no less ordinary and very inspiring! This episode is the tribute for our "Flying Sikh"
अपने जीवन के लिए दौड़ने से लेकर पदकों की दौड़ तक, मिल्खा सिंह का जीवन भी कम सामान्य और प्रेरणादायक नहीं रहा है! यह एपिसोड हमारे "फ्लाइंग सिख" के लिए श्रद्धांजलि है
जयशंकर प्रसाद हिन्दी कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वहएक ऐसे लेखक थे जिन्होंने एक ही साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में हिंदी को गौरव करने लायक कृतियाँ दीं। उन्होंने काव्यरचनाब्रजभाषा में आरम्भ की और धीर-धीरे खड़ी बोली को अपनाते हुए इस
तरह आगे बढ़े कि खड़ी बोली के सर्वश्रेष्ठ कवियों में उनकी गणना की जाने लगी और वे युगवर्तक कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जिन्हें बंकिम चन्द्र चटर्जी के नाम से भी जाना जाता है, बंगला साहित्य के महान कवि और उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक
प्रसिद्ध पत्रकार भी थे। उनके द्धारा रचित आनंदमठ” उपन्यास,एक राजनीतिक उपन्यास था, जो कि हिन्दी और ब्रिटिश राष्ट्र के बारे में था। राष्ट्रीय
दृष्टि से ‘आनंदमठ’ उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम ‘वन्दे मातरम्’ गीत प्रकाशित हुआ था। साल 1937 में उनके लिखे गए इस गीत ”वंदे मातरम्” को राष्ट्र
गीत का दर्जा मिला था | आधुनिक बंगला साहित्य के राष्ट्रीयता के जनक बंकिम चन्द्र चटर्जी जी द्धारा रचित उपन्यासों का लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
रबीन्द्रनाथ ठाकुर या रबीन्द्रनाथ टैगोर, विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता थे। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी
जाना जाता है। वह एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन; और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला& गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। गुरुदेव ने बांग्ला साहित्य के ज़रिये
भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान डाली। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई
शाखा हो, जिनमें उनकी रचना न हो - कविता, गान, कथा, उपन्यास, नाटक, प्रबन्ध, शिल्पकला - सभी विधाओं में उन्होंने रचना की।
अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानाँ या सिर्फ रहीम, एक मध्यकालीन कवि, सेनापति, प्रशासक, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे। यह वही रहीम हैं जिनके हिंदी के दोहे आपने
कभी न कभी पढ़े ही होगे. इनके काव्य में शृंगार, शांत तथा हास्य रस मिलते हैं। दोहा, सोरठा, बरवै, कवित्त और सवैया उनके प्रिय छंद हैं। रहीम दास जी की
भाषा अत्यंत सरल है, उनके काव्य में भक्ति, नीति, प्रेम और श्रृंगार का सुन्दर समावेश मिलता है।
मिर्ज़ा ग़ालिब मुग़ल शासन के दौरान ग़ज़ल गायक, कवि और शायर हुआ करते थे. उर्दू भाषा के फनकार और शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम आज भी काफी
अदब से लिया जाता हैं. मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान में एक
महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाना जाता है। उन्हे दबीर-उल-मुल्क और नज़्म-उद- दौला का खिताब मिला।
महादेवी वर्मा हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से थीं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक
मीरा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने न केवल चाँद का सम्पादन कियाबल्कि हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयाग में साहित्यकार संसदकी स्थापना
की। उन्होंने साहित्यकार मासिक का संपादन किया और रंगवाणी नाट्य संस्था की भी स्थापना की।
रामधारी सिंह दिनकर वीर रस के महान कवि थे। उनकी कविता ऐसी थी जिनको सुनकर सोए हुए हृदय में भी देशभक्ति की भावना जाग उठे। रामधारी
सिंह दिनकरहिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे, जिन्हें सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक हिंदी कवियों में से एक माना जाता है। भारत सरकार ने
उनके सम्मान में उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया था।
मीराबाई सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं। मीराबाई की कविताओं और छंदों में श्री कृष्ण के प्रति उनकी गहरी आस्था और प्रेम की
अद्भुत झलक देखने को मिलती है | उनकी रचनाओं में मीरा पदावली ,’गीत गोविन्द टीका’ राग सोरठ ‘और ‘नरसी का मायरा ‘ आदि है । उनकी रचनाओं में गाये
जाने वाले पद मिलते है । एक ऐसा ही भजन जो बहुत लोकप्रिय है और आपने कई बार इसे सुना भी होगा - पायों जी मैने राम रतन धन पायो.
अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुखकवि, शायर, गायक और संगीतकार थे | अमीर ख़ुसरो चौदहवीं सदी के हिन्दी
खड़ी बोली के पहले लोकप्रिय कवि थे, जिन्होंने कई ग़ज़ल, ख़याल, कव्वाली, रुबाई और तराना आदि की रचनाएँ की थीं। वह सूफीयाना कवि थे और ख्वाजा
निजामुद्दीन औलिया के मुरीद भी थे। अमीर खुसरो ने 8 सुल्तानों का शासन देखा था I ख़ुसरो को “भारत की आवाज़” या “भारत का तोता” ( तुति-ए-हिंद ) के रूप
में भी जाना गया और उन्हें “उर्दू साहित्य का पिता” भी कहा जाता है.
कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। इनके द्वारा लिखे गए अधिकतर नाटक और कविताएं मुख्य रूप से वेदों, महाभारत और पुराणों पर
आधारित होती थी। महान कवि कालिदास (Kalidas) ने कई सारी रचनाएँ लिखी हैं लेकिन इनकी जो सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ हैं वे महाकाव्य – रघुवंश और
कुमारसंभव, खंडकाव्य – मेघदूत और ऋतुसंहार, नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम्, मालविकाग्निमित्र और विक्रमोर्वशीय है.
भारतीय समाज को अंधविश्वासों और रूढ़ियों से मुक्त करने में जिन समाज सुधारकों का नाम आता है, उनमें से कबीर को सबसे ऊपर रखा जाता है | कबीर दास जी ने
अपने दोहों के माध्यम से भारतीय समाज की बुराईयों पर करारा प्रहार किया | इस कारण उन्हें सामाजिक स्तर पर बहुत तकलीफों का भी सामना करना पड़ा. कबीर
दास जी ने अपने उपदेशों से जहां बहुत सारे शिष्य बनाएं वहीं उनकी नये विचारो ने ढेरों विरोधियों को भी जन्म दिया.
कविता, कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जोछन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है।