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Malayalam Spirituality Podcast

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அழகிய மணவாளன் நம்பெருமாள் | வைகாசி 17 | விசித்திர புராணங்கள் | Vichithra Puranangal
ஸ்ரீரங்கம் நம்பெருமாள் பெயர் வர காரணம்; சலவைத் தொழிலாளி அரங்கனுக்கு பெயர் சூட்டிய நெகிழ வைக்கும் வரலாறு.
एक योग्य व्यक्ति कौन है? (कृष्णा वाणी) | Who is a Qualified person? (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
जिसको योग मिल गया हो उसका ऐश्वर्य उसका वैभव कैसा होता है इसकी व्याख्या करते हुए कृष्णा अर्जुन को ज्ञान की विशेषताओं के साथ बताते है  Explaining how the splendor of one who has got yoga is his glory, Krishna tells Arjuna with the characteristics of knowledge.
अक्षर ब्रह्म योग का विवरण (कृष्ण वाणी)  | Description of Akshar Brahma Yoga (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
हमारी साइंस हर रोज़ बदलती है हर रोज़ ब्रह्मांड की एक नयी परत खुलती है हजारो साल बाद भी गीता का ज्ञान नहीं बदला आठवे अध्याय में ब्रह्मा आध्यात्म और कर्मा के बारे में बात होगी  Our science changes every day; A new layer of the universe opens every day. Even after thousands of years, the knowledge of the Gita has not changed. In the eighth chapter, there will be talk about Brahma spirituality and Karma.
ज्ञान और विज्ञान के बीच अंतर (कृष्ण वाणी) | Distinction between knowledge and Science (Krishna Vani)|  गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
ज्ञान विज्ञान योग गीता के हर अध्याय से हमारे जीवन के विषय में जानकारी मिलती है सातवें अध्याय में कृष्ण बताते है की ज्ञान क्या होता है और विज्ञान क्या होता है | Every chapter of Gyan Vigyan Yog Gita provides information about our life, in the seventh chapter, Krishna explains what is knowledge and what is science.
असली संन्यासी कौन है? (कृष्णा वाणी) | Who is the Real Sanyasi? (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
आत्म संयम योग | हमारे कितने ही जन्म हो चुके है यह हम नहीं जानते पर यह जानते है, कि हममे इतनी समझ है कि गीता को सुनकर पढ़कर उसके ज्ञान को समझ सके | We do not know how many births we have taken for self-control, but we know that we have enough understanding to read the Gita and understand its knowledge.
प्रकृति का प्रभाव (कृष्ण वाणी) | Effect of Nature (Krishna Vani)| गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
आदमी का स्वभाव उसकी प्रकृति के अनुसार होता है आपके स्वभाव के अनुसार ही निश्चित होते हैं आप अपने जीवन में क्या करेंगे क्योंकि स्वभाव से कल बनता है और कर्म से उसका फल मिलता है इसलिए अपने जीवन में ऐसा फल मिलेगा यह जानने के लिए कुछ हमारे अंदर ही है उसे समझने और सामने लाने की जरूरत होती है Nature of man is according to his nature According to your nature you are determined what you will do in your life because by nature Tomorrow is made and it results from karma, so to know that you will get such fruit in your life, something is inside us and it needs to be understood and brought to the forward.
कर्मों का त्याग (कृष्ण वाणी) | Renunciation of Deeds (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
कर्म सन्यास योग के बारे में दुनिया में कुछ अलग करना है तो कुछ अलग जानना ही होगा अर्जुन पूछते हैं प्रभु आप मेरे लिए सही है तो बताइए If you want to do something different in the world about Karma Sannyas Yoga, then you have to know something different, Arjun asks, Lord, if you are right for me, tell me
कर्म और अकर्म के बीच अंतर (कृष्ण वाणी) |  Difference between Karma and Akarma (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
अर्जुन के कन्फ्यूजन की स्थिति को दूर करने के लिए कृष्ण कहते हैं कि कर्म क्या है और अकर्म क्या है इसका निर्णय करने में बुद्धिमान पुरुष भी मोहित हो जाते हैं इसलिए तो कर्म तत्व को समझा कर कहूंगा To overcome Arjuna's state of Confusion, Krishna says that intelligent men are also fascinated in deciding what is Karma and what is Karma, that is why they will explain the Karma Tatva.
ज्ञान, कर्म और संन्यास योग (कृष्ण वाणी) |  Knowledge, Karma and Sannyas Yoga (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
जिसमें ज्ञान कर्म सन्यास योग के बारे में कृष्ण बताते हैं मैंने यह कभी खत्म ना होने वाले ज्ञान को सूर्य से कहा था अर्थात ज्ञान योगऔर कर्म योग भगवान श्री कृष्ण इसी योगकी जानकारी देते हैं In which Krishna tells about Jnana Karma Sannyas Yoga, I told this never ending knowledge to Surya i.e. Gyan Yoga and Karma Yog Lord Shri Krishna gives information about this yog.
कर्तव्य का महत्व (कृष्ण वाणी) | Importance of Duty ( Krishna Vani ) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
श्री कृष्ण कहते हैं जो मनुष्य आत्मा में ही रहने वाला होता है उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं आत्मा का मतलब सबसे बड़ा सच बताया है इसलिए जिसे ज्ञान हो जाता है आत्मा को जान जाता है उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं है Shri Krishna says that for a man who lives in the soul, there is no duty for him, the soul has told the biggest truth, so one who gets knowledge, knows the soul, there is no duty for him.
कर्म का विश्लेषण (कृष्ण वाणी) | Analysis of karma ( Krishna Vani ) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
कर्म तो हर पल हर समय हम सब करते हैं पर कुछ कर्म झूठ से भरे होते हैं और कर्म कर्तव्य के लिए होते हैं तो फिर ऐसे कर्म से कौन है जो हमें हमारे लक्ष्य तक ले जा पाएंगे ? Karma is done every moment of every moment, but some actions are full of lies and actions are for duty, then who is there with such action that will lead us to our goal?
कर्म का खेल (कृष्ण वाणी) | Game of karma ( Krishna Vani ) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
कृष्ण कर्म की विशेषता बताते हैं वह कहते हैं वेद भी तीन गुणों में ही सीमित हो जाते हैं वह कहते हैं कल करो पर उसमें आसक्ति नहीं रखो Krishna explains the speciality of Krishna Karma. He says that Vedas also become limited in three qualities. He says do it tomorrow but do not indulge in it.
आत्मा का विवरण (कृष्ण वाणी) | Description of Soul ( Krishna Vani ) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
कृष्ण कहते हैं संपूर्ण प्राणी जन्म से पहले प्रकट थे और मरने के बाद भी प्रकट होने वाले हैं सिर्फ बीच में ही प्रकट हैं फिर ऐसी स्थिति में शोक क्यों Krishna says that entire beings were manifested before birth and are going to appear even after death, only they appear in the middle, then why mourning in such a situation. 
सत्य व्याख्या (कृष्ण वाणी) | Truth Interpretation (Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
श्री कृष्णा कहते हैं आत्मा की विशेषता और कहते हैं सत्य और असत्य में क्या अंतर है सुख और दुख दोनों आने जाने वाले हैं| Shri Krishna says the speciality of the soul and says what is the difference between truth and untruth, both happiness and sorrow are going to come and go.
आर्ट ऑफ लिविंग( कृष्णा वाणी )  | Art of Living (krishna vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
इसमें अर्जुन की कायरता तथा उसके भ्रम को लेकर विश्लेषण है संजय अर्जुन की स्थिति के बारे में बताते हैं | अर्जुन बहुत दुखी हैं तो कृष्ण उसे समझाते हुए उसे ज्ञान देते हैं |  It contains an analysis of Arjuna's cowardice and his illusions. Sanjay tells about Arjuna's condition, Arjuna is very unhappy, Krishna explains it and gives him knowledge.  
अहंकार की परिभाषा ( कृष्णा वाणी) | Definition of Ego ( Krishna Vani) | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
गीता में कृष्ण ने बताया है कि घमंड बुरी चीज है कौरव और पांडव सेना का विस्तार संजय द्वारा धृतराष्ट्र को बताया जा रहा है In the Gita, Krishna has said that arrogance is a bad thing. The expansion of Kaurava and Pandava army is being told by Sanjay to Dhritarashtra.
युद्ध का महत्व | Importance of War | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
 धृतराष्ट्र  पूछते हैं कि युद्ध में क्या हो रहा है और संजय युद्ध में लोगों की स्थिति बताते हैं Dhritarashtra asks what is happening in the war and Sanjay tells the situation of the people in the war. 
गीता की विशेषताएं | Characteristics of Gita | गीता की ज्ञान | Gita Ki Gyan
गीता में क्या विशेष है? गीता में विशेष है श्री कृष्ण | गीता की क्या विशेषताएँ हैं ? गीता में हर सवाल हर संदेह का जवाब है अर्जुन की ही नहीं हर सवाल और शंका का समाधान है गीता | What is special in the Gita? In the gita Shree Krishna is special. What are the characteristics of gita? Gita is not only the answer to Arjun’s Question and doubts bit is the solution for all the questions and doubts.
Gita ki Gyan Introduction - Part 3
गीता में हर इंसान में तीन गुणों को बताया गया है गीता में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं इस सृष्टि की रचना तीन गुणों से हुई है और कहते हैं मैं ही ब्रह्म रूप में चेतन रूपी बीज को स्थापित करता हूं In the Gita, three qualities have been told in every human being. In the Gita, Krishna says to Arjuna that this creation is composed of three qualities and says that I am the one who installs the seed of consciousness in the form of Brahma.
Gita ki Gyan Introduction - Part 2
गीता का उद्देश्य मानव जीवन की आध्यात्मिक मुक्ति है गीता में कुछ सामान्य लक्ष्य की पहचान की गई है और ईश्वर का उल्लेख किया है The purpose of Gita is spiritual liberation of human life. Some common goals have been identified in Gita and mentioned God.
வாலி வதம் | Vaali Vatham
When Vali was the king of Kishkindha, he got into a fight with a powerful demon named Mayavi, who led him inside a cave. Sugrivan waited for his brother Vali outside the cave the whole night but decided to leave thinking Vali was dead when he saw blood oozing out of the cave's entrance. However, Vali was still alive and had killed the demon. When he saw the cave's entrance closed, he thought that Sugrivan had betrayed him and hence took away his wife and vowed to kill him as well. Upon hearing the story, Raman assisted Sugrivan in killing Vali, after which Sugrivan reclaimed the throne of Kishkindha and took care of Vali's son Angad.
ராமனுக்கும் ஆஞ்சநேயருக்கம் ஏற்பட்ட யுத்தம் | Ramanukkum Anjaneyarukkum Erpatta Yutham
King Sakunthan had once invited several sages to attend a ceremony at his palace. When sage Vishwamitrar arrived, the king did not pay him any heed and the same was conveyed to the sage through Naradhar, much to his anger. The sage summoned Raman to kill the Sakunthan while the king was asked to provide protection by Hanuman. Thus, a war ensued between Raman and Hanuman, where the king ended up begging the sage for mercy, thus ending the war.
சனீஸ்வரனை விடுவித்த ஹனுமான் | Saniswaranai Veduvitha Hanuman
When Raavanan's son Meghanathan was born, he had instructed the nava grahas to stay in the 11th house of his son's horoscope but Saniswaran defied his orders and placed himself on the 12th house. An infuriated Raavanan placed Saniswaran in a tiny prison, thereby refusing to let him face the outside world. However, Hanuman managed to rescue Saniswaran upon hearing his cries for help. He also managed to relieve himself of the Sani dhosham by placing huge boulders of rocks on his head, thus permanently getting rid of Saniswaran.
ராவணன் பெற்ற சாபம் | Raavanan Pettra Sabam
The notorious Raavanan, who was an infamous womanizer, attempted to molest a woman who sacrificed herself, cursing Raavanan that his death would be caused by a woman. When Raavanan visited the abode of Shivan, he mocked Nandi's appearance, who in turn cursed Raavanan that a monkey would be responsible for his death. Furthermore, an apsara called Rambha was harassed by Raavanan. Rambha's husband Kuberan cursed him that his ten heads would tear apart if he ever touched a woman without her consent.
ஹனுமான் பெற்ற வரங்கள் | Hanuman Pettra Varangal
Hanuman, who was an exuberant child, tried to catch hold of the sun confusing it for a fruit. A hungry Rahu complained about Hanuman to Indran, who struck him with his Vajra, rendering him unconscious. Angered and upset over the incident, Hanuman's father Vayu went into seclusion. In order to placate Vayu, Brahma and the other devas brought Hanuman back to life and blessed him with multiple boons.
ராட்சஸர்கள் பெற்ற வரங்கள் | Ratchasargal Pettra Varangal
Raavanan, Kumbhakarnan, and Vibhishanan prayed for several years to obtain a boon from Brahma. Raavanan wished for immortality but was denied, hence he requested that he shouldn't be killed by yakshans, ratchasans, serpents, birds, etc (excluding humans). The boon was granted. While Vibhishanan gets his wish granted as well, Kumbhakarnan (as a result of a trick played by Goddess Saraswati) gets the boon of being asleep his entire lifetime.
உயிர்ப்பு ஞாயிறு | EASTER SUNDAY IN TAMIL
உயிர்ப்பு ஞாயிறு (Easter), ஆண்டவரின் உயிர்ப்புப் பெருவிழா அல்லது பாஸ்கா என்பது இயேசு கிறிஸ்து சிலுவையில் அறையப்பட்டு அடக்கம் செய்யப்பட்டு மூன்றாம் நாள் சாவில் இருந்து உயிர்த்ததைக் குறிக்கும் விதமாக கிறிஸ்தவர்களால் கொண்டாடப்படும் ஒரு திருவிழா ஆகும். இது ஒவ்வொரு ஆண்டும் 40 நாட்கள் தவக்காலத்தின் முடிவில் வருகிறது. இது கிறிஸ்தவ திருவழிபாட்டு ஆண்டின் மிக முக்கியமான திருநாளாகும். இந்நாள் புனித வெள்ளியில் இருந்து மூன்றாம் நாளான ஞாயிற்றுக்கிழமை கொண்டாடப்படுகிறது அவற்றை இப்பதிவில் கேட்டு தியானிப்போம்.
புனித சனி | HOLY SATURDAY IN TAMIL
புனித சனி (Holy Saturday) என்பது கிறித்தவ வழிபாட்டு ஆண்டில் பெரிய வெள்ளிக் கிழமைக்கு அடுத்த நாள் ஆகும். இது புனித வாரத்தின் கடைசி நாளாகவும், தவக் காலத்தின் கடைசி நாளாகவும் இயேசுவின் உயிர்த்தெழுதலுக்குத் தயாரிப்பு நாளாகவும் கருதப்படுகிறது. கல்லறையில் வைக்கப்பட்ட இயேசுவின் உடல் அமைதியில் துயில் கொள்ளும் வேளையில் திருச்சபையும் அமைதியோடு காத்திருக்கும். இயேசுவின் இறப்பு துயர நிகழ்வாக இருந்தாலும் அத்துயரமானது மகிழ்ச்சியாக மாறப்போகிறது என்னும் நம்பிக்கையோடு திருச்சபை காத்திருப்பது பெரிய சனியின் பண்பு. திருவழிபாட்டு முறைக்கு ஏற்ப, பெரிய சனி பொழுது சாயும் வேளை வரை நீடிக்கும். அதன் பிறகு பாஸ்கா திருவிழிப்பு (Easter Vigil) தொடங்கும். அதுவே இயேசு சாவினின்று எழுந்த நிகழ்ச்சிக்கு முன்னோடி போல அமைகிறது அதனை  இப்பதிவில் கேட்டு தியானிப்போம். 
புனித வெள்ளி | GOOD FRIDAY IN TAMIL
புனித வெள்ளி அல்லது பெரிய வெள்ளி அல்லது ஆண்டவருடைய திருப்பாடுகளின் வெள்ளி (Good Friday) என்பது கிறிஸ்தவர்கள் இயேசு கிறித்து அனுபவித்த துன்பங்களையும்,  சிலுவைச் சாவையும் நினைவுகூர்ந்து ஒவ்வொரு ஆண்டும் கொண்டாடுகின்ற ஒரு விழா ஆகும். கிறித்தவ வழிபாட்டு ஆண்டில் முக்கியமான இந்த நாள் இயேசு உயிர்பெற்றெழுந்த ஞாயிறு கொண்டாட்டத்திற்கு முந்திய வெள்ளிக்கிழமை நிகழும். இயேசு கல்வாரி மலையில் சிலுவையில் அறையப்பட்டதை நினைவுகூர்கின்ற நிகழ்வை இப்பதிவில் கேட்டு தியானிப்போம்.
புனித வியாழன் | MAUNDY THURSDAY IN TAMIL
பெரிய வியாழன் அல்லது புனித வியாழக்கிழமை (Holy Thursday - Maundy Thursday) என்பது கிறித்தவர்கள் இயேசு கிறித்துவின் இறுதி நாள்களை நினைவுகூர்ந்து உயிர்ப்பு ஞாயிறுக்கு முன் வரும் வியாழன் அன்று கொண்டாடுகின்ற ஒரு விழா ஆகும். நற்செய்திகளில் கூறியுள்ளது போன்று, திருத்தூதர்களுடனான இயேசுவின் இறுதி இராவுணவு, மற்றும் கால்களைக் கழுவுதல் என இவ்விரவு கடைசித் தடவையாக இயேசு தனது சீடர்களுடன் கழித்த நாளாகும். அவர் நடக்கவிருக்கும் நிகழ்வுகளையும் அவர்களுக்குக் கூறினார் அவற்றை இப்பதிவில் கேட்டு தியானிப்போம்.
புனித வார புதன் கிழமை | HOLY WEEK WEDNESDAY IN TAMIL
அடிப்பதற்கு இழுத்துச் செல்லும் ஆட்டுக்குட்டிையப் போல், உங்கள் முன் வாயில்லா பூச்சியாய் வதங்கி நின்று ெகாண்டிருக்கும் இயேசுவை தெரிகிறதா  உலகை   மீட்க பரம தந்தையால் இவ்வுலகிற்கு அனுப்பப்பட்ட மானுட மகன் சிரேமற் கொண்டு, நமக்கு இந்த காலகட்டத்தில் சொல்ல வருவது என்ன என்பதை இப்பதிவில் கேட்டு தெரிந்து கொள்வோம். 
புனித வார செவ்வாய்  | HOLY WEEK TUESDAY IN TAMIL
ஈராயிரம் ஆண்டுகளாய் விடுதலைக்காய், வாழ்வின் விடியலுக்காய் ஏழை எளிய மக்களுக்கு நம்பிக்கையும், புத்துயிரையும் கொடுப்பதாகவும் அமைகிறது. பட்டங்களையும், பதவிகளையும் எதிர்பார்த்து இயேசுவின் பின் சென்றால் அவரின் பயணத்தில் நிச்சயம் நமக்கு இடமிருக்காது. இயேசுவைப்போல நாமும் தன்னலப் போர்வையை தகர்த்தும், ஆணவத்தை அழித்தும் இயேசுவின் பின் பயணிப்போம். அப்போது இப்புனித வாரம் நம்மை புனிதர்களாக நிச்சயம் மாற்றும் என்ற மனநிலையோடு இப்பதிவை கேட்டு தியானிப்போம். 
புனித வார திங்கள் | HOLY WEEK MONDAY IN TAMIL
புனித வாரம் முழுவதுமே நமது சிந்தனைக்காக இயேசுவின் தற்கையளிப்பை எடுத்துக்கொள்வோம். பொதுவாகவே, ஒரு மனிதர் எப்படி வாழ்கிறாரோ, அப்படித்தான் இறக்கிறார். இயேசுவும் அப்படியே அவர் வாழ்ந்தபோது, தன்னை முழுமையாக இறைவனுக்குக் கையளித்தார். ஆகையால் நாம் இறைவனோடு எப்படி உள்ளோம்  என்பதை இப்பதிவில் கேட்டு தெரிந்து கொள்வோம். 
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